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एन.टी. रामा राव जूनियर, जिन्हें जूनियर एनटीआर या तारक के नाम से जाना जाता है, तेलुगु सिनेमा में एक चमकता सितारा हैं। वे एक महान पारिवारिक नाम का भार उठाते हैं, लेकिन सुपरस्टार बनने के लिए उन्होंने अपना रास्ता खुद बनाया है। यहाँ एनटीआर के जीवन की यात्रा है, सिनेमा में उनके बचपन से लेकर एक प्रमुख अभिनेता के रूप में उनके उदय तक।

एक विरासत जिसे जीना है: प्रारंभिक जीवन और परिवार

एनटीआर

1983 में नंदमुरी तारक रामा राव जूनियर के रूप में जन्मे एनटीआर का जीवन जन्म से ही सिनेमा से जुड़ा हुआ है। उनके दादा, एन.टी. रामा राव सीनियर, एक महान अभिनेता से राजनेता बने थे, और उनके पिता, नंदमुरी हरिकृष्ण भी एक अभिनेता थे। ऐसी विरासत के बीच पले-बढ़े, निस्संदेह युवा एनटीआर में फिल्म के लिए जुनून पैदा हुआ।

एनटीआर की शिक्षा और मंच पर कदम :

एनटीआर

एनटीआर ने हैदराबाद में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और सेंट मैरी कॉलेज में इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की। जबकि शिक्षा महत्वपूर्ण थी, अभिनय के प्रति उनका प्यार केंद्र में था। उन्होंने अपने अभिनय कौशल को निखारते हुए नाटकों और नाट्य प्रस्तुतियों में सक्रिय रूप से भाग लिया।

बचपन के अभिनय की एक झलक:

बचपन में भी, एनटीआर ने अभिनय के लिए एक स्वाभाविक प्रतिभा दिखाई। वह अपने दादा की दो फिल्मों – “ब्रह्मर्षि विश्वामित्र” (1991) और “रामायणम” (1997) में दिखाई दिए – बाद वाली फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ बाल फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता।

एनटीआर की शुरुआत और शुरुआती संघर्ष:

एनटीआर ने आधिकारिक तौर पर अभिनय की शुरुआत 2001 में फिल्म “निन्नू चूडालानी” से की। हालांकि, यह एस.एस. राजामौली की आने वाली उम्र की फिल्म “स्टूडेंट नंबर 1” (2001) थी जिसने उन्हें प्रसिद्धि दिलाई। शुरुआती सफलता के बावजूद, एनटीआर को तेलुगु सिनेमा की प्रतिस्पर्धी दुनिया में खुद को स्थापित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

अपनी लय ढूँढना: एक्शन, कॉमेडी और उससे आगे

एनटीआर ने विविध भूमिकाएँ निभाकर अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उन्होंने “आदि” (2002) और “सिम्हाद्री” (2003) जैसी एक्शन से भरपूर फ़िल्मों में बेहतरीन अभिनय किया, “बृंदावनम” (2010) में अपनी कॉमिक टाइमिंग से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया और “यमडोंगा” (2007) जैसे ऐतिहासिक नाटकों में दमदार अभिनय किया। इस विविधता ने तेलुगु सिनेमा में एक अग्रणी अभिनेता के रूप में उनकी जगह पक्की कर दी।

एनटीआर जूनियर की फ़िल्मोग्राफी और बॉक्स ऑफ़िस सफ़लता:

एनटीआर की फ़िल्मोग्राफी व्यावसायिक रूप से सफल फ़िल्मों के साथ प्रभावशाली है। यहाँ उनकी कुछ उल्लेखनीय परियोजनाओं और उनके अनुमानित घरेलू बॉक्स ऑफ़िस कलेक्शन (22 मई, 2024 तक) की एक झलक दी गई है:

  • स्टूडेंट नंबर 1 (2001): ₹25 करोड़
  • आदि (2002): ₹30 करोड़
  • सिम्हाद्री (2003): ₹40 करोड़
  • यमडोंगा (2007): ₹55 करोड़
  • बृंदावनम (2010): ₹60 करोड़
  • बादशाह (2013): ₹80 करोड़
  • टेम्पर (2015): ₹70 करोड़
  • नन्नाकु प्रेमथो (2016): ₹50 करोड़
  • जनता गैराज (2016): ₹130 करोड़
  • आरआरआर (2022): ₹300 करोड़ (अब तक की उनकी सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फ़िल्म)

बॉक्स ऑफ़िस से परे: पुरस्कार और पहचान

एनटीआर की प्रतिभा किसी की नज़र से नहीं छूटी है। उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें दो फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार, दो नंदी पुरस्कार और चार सिनेमा पुरस्कार शामिल हैं।

एक विरासत को आगे बढ़ाया:

एनटीआर अपने परिवार की विरासत को गर्व के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। वे अपने दादा और पिता की छाया से उभरे हैं और खुद को एक ऐसी ताकत के रूप में स्थापित किया है जिसका खुद पर भरोसा किया जा सकता है।

आगे की ओर देखना: एक उज्ज्वल भविष्य

एनटीआर तेलुगु सिनेमा में एक शीर्ष दावेदार बने हुए हैं। अपने काम के प्रति उनका समर्पण, प्रयोग करने की उनकी इच्छा और उनके प्रशंसकों की अपार संख्या इस प्रतिभाशाली अभिनेता के लिए एक रोमांचक भविष्य का वादा करती है। प्रशंसक उनकी आगामी परियोजनाओं का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं, उनकी निरंतर प्रगति और आकर्षक प्रदर्शनों की उम्मीद कर रहे हैं।

पढ़ने के लिए धन्यवाद!

एनटीआर की “देवरा” के साथ एक धमाकेदार एक्शन के लिए तैयार हो जाइए! एक रोमांचक कहानी, रोमांचक स्टंट और दमदार अभिनय के लिए कमर कस लें। यह फिल्म पूरे परिवार के लिए मनोरंजन का वादा करती है। इसे बड़े पर्दे पर देखना न भूलें – “देवरा” के एक्शन और ड्रामा का खुद अनुभव लें!

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